गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2025: 6 जनवरी क्यों मान्य जाता है और क्या इस दिन छुट्टी है?

गुरु गोबिंद सिंह जयंती

सिख समुदाय में गुरु गोबिंद सिंह जयंती आज यानी की 6 जनवरी 2025 को मनाई जा रही है जो की एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। इस खास दिन को सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की 358वीं जयंती के रूप में मनाया जाता है। दुनिया भर के लाखों सिख एक बहादुर नेता के रूप में गुरु गोबिंद सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए एक साथ आते हैं। यह त्योहार न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के हर सिख द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।अपडेट के मुताबिक, यह खास त्योहार 5 जनवरी से शुरू होगा और 6 जनवरी, 2025 की शाम को खत्म होगा। यह खालसा की स्थापना और उसके योगदान के लिए एक श्रद्धांजलि है, जिसने सिख धार्मिक समुदाय को मजबूत किया।

गुरु गोबिंद सिंह जी का ऐतिहासिक महत्व

गुरु गोबिंद सिंह जयंती

प्रारंभिक जीवन:


गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना, बिहार में हुआ था।
पिता गुरु तेग बहादुर जी के शहादत के बाद 9 साल की उम्र में उत्तराधिकारी बने।


खालसा का गठन:


1699 में खालसा की स्थापना की।
खालसा दीक्षा समारोह के दौरान पंज प्यारे (पांच प्रिय) की अवधारणा स्थापित की।


विरासत:


गुरु ग्रंथ साहिब को सिख धर्म का शाश्वत गुरु घोषित किया, जो मानव गुरुओं के अंत का प्रतीक है।
बलिदान और सेवा का जीवन जीने के बाद 1708 में नांदेड़, महाराष्ट्र में निधन हो गया।

    मुख्य योगदान

    1. खालसा का गठन
      न्याय और धार्मिकता को बनाए रखने के लिए 1699 में वैसाखी पर स्थापित किया गया।
      सिख पहचान को पांच के साथ परिभाषित किया: केश, कंघा, कारा, कचेरा और कृपाण।
    2. पंज प्यारे
      साहस और आत्म-बलिदान के प्रतीक के रूप में पंज प्यारे के रूप में जाने जाने वाले पांच समर्पित सिखों का चयन किया।
      खालसा के आदर्शों और सभी के बीच समानता का प्रतिनिधित्व किया।
    3. सिख धर्म के पांच के
      केश (बिना कटे बाल): भगवान की इच्छा की स्वीकृति का प्रतिनिधित्व करता है।
      कांगहा (लकड़ी की कंघी): स्वच्छता और व्यवस्था का प्रतीक है।
      कारा (स्टील ब्रेसलेट): सिखों को संयम और अनुशासन की याद दिलाता है।
      कचेरा (सूती अंडरगारमेंट्स): विनय और आत्म-नियंत्रण को दर्शाता है।
      किरपान (छोटी तलवार): उत्पीड़ितों की रक्षा करने और न्याय को बनाए रखने के कर्तव्य को दर्शाता है।

    गुरु गोबिंद सिंह जयंती का उत्सव


    1.भक्ति अभ्यास:


    गुरु ग्रंथ साहिब से गुरबानी (भजन) का पाठ।
    दुनिया भर के गुरुद्वारों में जुलूस और प्रार्थना सभाएं।


    2.सामुदायिक सेवा:


    समानता और सेवा की भावना पर जोर देते हुए संगठित लंगर (सामुदायिक रसोई)।
    गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं को प्रतिबिंबित करने वाली स्वयंसेवी गतिविधियाँ।


    3.सांस्कृतिक कार्यक्रम:


    गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन और विरासत पर नाटक, व्याख्यान और चर्चा।


    4.शिक्षाओं पर चिंतन:


    न्याय, साहस और मानवता के प्रति समर्पण के उनके सिद्धांतों पर ध्यान दें।
    युवा पीढ़ियों को अपने जीवन में उनके मूल्यों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।


    5.वैश्विक भागीदारी:


    सिख और गैर-सिख समान रूप से समारोहों में भाग लेते हैं, उनकी शिक्षाओं की सार्वभौमिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हैं।

    गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2025: एक बैंक छुट्टि?


    भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी छुट्टियों की सूची के अनुसार,6 जनवरी गुरु गोबिंद सिंह जयंती को बैंक बंद रहेंगे।

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